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झौंके हवा के कुछ कहते हैं हमें
संग लाई हूँ तेरे लिए कुछ लम्हें,
खुवाबों में भर ले इन्हे समेट ले ए वीर
माँ ने तेरी याद मैं फिर बनाई है खीर,
हूँ मैं सबके इर्द गिर्द
पर पैगाम लाती हूँ केवल तुम्हारा ,
क्युकि औरो के लिए हूँ समीर
पर तुम्हारे लिया प्रेम की द्वा मेरे वीर,
जाने क्यूँ सुनाई देती है
तुम्हारे मन की आवाज़
जो बार बार लाती है मुझे तुम्हारे पास,
इसलिए ए वीर
बन कर आती हूँ तेरे दर पर फ़कीर
इन लम्हों को लेकर भर दे मेरी भी झोली ना बहा नीर
माँ ने तुझे याद कर फिर बनाई है खीर ……..