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तेरी
आँखों में आज बग़ावत देख
एहसास
हुआ तेरे दर्द का
हम
सोचते थे
वक़्त
की दावा ही काफ़ी है तेरे हर मर्ज़ का
हमे इल्म ना हुआ तेरी खामोशी
कब इंक़लाब में बदल गई,
ज़रूरत
से अधिक लूटा
हमने
तेरी सादगी को
शायद
इसलिए आज किस्मत हमसे ही छल गई...............